दो दिन पहले एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड ने भाषण देते हुए कहा कि - मुसलमान तो अपने बाप दादा की क़ब्र दिखाकर सबूत दे देगा, हिन्दू कहाँ से सबूत लाएगा?
हे मूर्ख शिरोमणि, आपको अपने बाप दादाओं का पता नहीं होगा या पता है तो आपको विश्वास नहीं है कि वही आपके बाप दादा हैं तो ये समस्या आपकी हो सकती है? वैसे भी इस तरह का बयान देकर आपने ये तो बता ही दिया है कि आपको अभी तक पता नहीं है कि आप किस खानदान से हैं क्योंकि खानदानी होते तो ऐसी बात नहीं बोलते?
एक काम करो क़ब्रिस्तान जाकर गड़े मुर्दे उखाड़ना शुरू करो, हो सकता है 8-10 मुर्दों से आपका डीएनए मैच हो जाए।
हिन्दू धर्म की मान्यता है कि शरीर पंचतत्वों से मिलकर बना है इसलिए उसे उन्हीं में विलीन कर दिया जाता है। बहुत साल पहले एक मुस्लिम मित्र की नानी का देहावसान होने पर मैं कब्रिस्तान गया था। वहाँ एक और मित्र कब्रिस्तान की शान में क़सीदे गढ़ रहा था। बोला ये बड़ी पाक जगह है। मैं काफी देर तक उसकी बातें सुनता रहा, फिर मैंने कहा - ज़्यादातर हॉरर फिल्मों में कब्रिस्तान ही दिखाए जाते हैं, शमशान नहीं क्योंकि वहाँ कुछ होता ही नहीं है, शरीर भस्म हो जाता है और बची हुई राख और अस्थियों को भी नदी में विसर्जित कर दिया जाता है। दूसरी बात एक ही स्थान पर हजारों, लाखों शवों का दाह संस्कार हो सकता है, वहीं कब्रिस्तान में जगह कम पड़ जाती है या फिर पुरानी कब्र पर ही नई कब्र खोदनी पड़ती है। कब्रिस्तान के सामने से अगर देर रात को गुज़रना पड़े तो मन में डर सा लगता है वहीं शमशान घाट के सामने से आप कभी भी बिंदास गुज़र जाओ कोई डर नहीं लगता है।
इसके बाद उसने चुप्पी साध ली और धीरे से खिसक लिया।
हर धर्म की अपनी मान्यताएँ हैं, वो उसको मानें लेकिन केवल स्वयं को श्रेष्ठ बताओगे तो सनातन धर्म के सामने कहीं ठहर नहीं पाओगे।
अगर इतने पुख़्ता सबूत दे सकता है तो काहे को पूरे देश में बवाल काट रहा है वैसे भी नागरिकता कानून में न तो किसी से कागज़ात माँगे जा रहे न किसी की नागरिकता छीनी जा रही है। तभी तो विरोध प्रदर्शनों में मंच से घोषणाएं की जा रही हैं - कोई आपसे पूछे कि क्या आप CAA के बारे में जानते हैं तो आपको उनसे कोई बहस नहीं करनी है, बस इतना कहना है कि हमको ये कानून नहीं चाहिए।
चोर की दाढ़ी में तिनका दिख ही रहा है, साथ में जितेंद्र आव्हाड जैसे लावारिसों की पहचान भी हो रही है।
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